हैल्थकेयर सैक्टर फ़ंड से है अच्छे मुनाफे की उम्मीद
वैसे तो लंबे समय मे शेयर बाज़ार मे सभी उध्योग जगत के शेयरों मे तेजी देखी जाती है किन्तु विशेष परिसतिथियों मे किसी एक उध्योग जगत के शेयरों मे दूसरों के मुक़ाबले अधिक तेजी की उम्मेद की जा सकती है। इस तेजी का लाभ उठाने के लिए शेयर बाजार के जानकार अक्सर उस सैक्टर के शेयरों मे निवेश करते हैं। वर्तमान मे भारत के हैल्थकेयर सेक्टर मे इस प्रकार की तेजी की उम्मीद है। विश्व के फर्मास्यूटिकल क्षेत्र मे भारत का एक महतवपूर्ण स्थान है। भारत विश्व भर मे जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा उत्पादक है। विभिन्न टीकों की वैश्विक मांग का लगभग 50% भारत पूरा करता है। वर्तमान में, 80% से अधिक एंटीरेट्रोवाइरल दवाइयाँ भारतीय कम्पनियाँ बनाती हैं जिनका उपयोग विश्व स्तर पर एड्स जैसी खतरनाक बीमारी के इलाज के लिए किया जाता है। हैल्थ केयर सैक्टर जिसमे फर्मास्यूटिकल, डाइग्नोस्टिक, अस्पताल और मेडिकल उपकरण इत्यादि बनाने वाले उध्योग शामिल हैं, बहुत तेजी से बढ़ रहा है। हमारे देश में वैज्ञानिकों और इंजीनियरों का बड़ा समूह इस उध्योग को अधिक से अधिक ऊंचाइयों पर पहुंचाने की क्षमता रखता है। कोरोना महामारी के चलते हैल्थ केयर सैक्टर मे और भी अधिक तेजी देखी जा रही है। निफ्टी हेल्थकेर इंडेक्स मे पिछले एक साल मे लगभग 58 प्रतिशत की दर से व्रद्धि हुई है और आगे भी यह तेजी बरकरार रहने की उम्मीद है। वित्तीय वर्ष 2020- 21 मे भारत ने दवाके क्षेत्र मे 18 बिल्यन अमेरिकी डॉलर यानि की करीब 1200 अरब भारतीय रुपए से अधिक का निर्यात किया है। भारत मे लगभग 10500 दवा बनाने वाली कम्पनियाँ हैं। डाइग्नोस्टिक कम्पनियाँ भी भारत मे तेजी से आगे बढ़ रहीं हैं। बेहतर जीवन शैली के चलते अब रोगी निजी अस्पतालों मे महंगा इलाज करवा रहे हैं और आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं से लैस इन अस्पतालों मे दूसरे देशों से भी रोगी अपना इलाज करवाने भारत मे आ रहे हैं। बीमारी का इलाज हो या शरीर की जांच हो, भारतीय अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो रहे हैं और इसीलिए डाइग्नोस्टिक कंपनियों का व्यापार भी तेजी से आगे बढ़ रहा है।
निफ्टी हैल्थकेयर इंडेक्स
निफ्टी हेल्थकेयर इंडेक्स मे 20 फर्मास्यूटिकल कम्पनियों का समायोजन है। इसमे शीर्ष पर तीन कम्पनियाँ सन फर्मास्यूटिकल, डॉक्टर रेड्डीज़ लैबोरेट्रीज, और डिवीस लैबोरेट्रीज हैं और इन तीनों कम्पनियों का कुल योगदान लगभग 40% है। एक इंडेक्स वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित होता है इसलिए एक इंडेक्स फ़ंड मे निवेश करना किसी एक्टिव फ़ंड के मुक़ाबले कम जोखिम भरा हो सकता है। इसमे पारदर्शिता भी अधिक होती हैं और समय-समय पर इसका पुनर्संतुलन यानि रि-बेलेन्सिंग की जाती है।
हैल्थकेयर फ़ंड निवेश की वजह
जब आप किसी डाइवर्सिफ़ाईड फ़ंड मे निवेश करते है तो उसमे सभी सेक्टर का योगदान होता है और इसमे निवेश करने पर आपको सभी तरह के सैक्टर के प्रदर्शन का औसत लाभ मिलता है। अब यदि आप किसी सैक्टर से दूसरे सेक्टर के मुक़ाबले अधिक लाभ की उम्मीद कर रहे हैं तो आप उस सेक्टर के फ़ंड मे अधिक निवेश करके इसका लाभ उठा सकते हैं। यदि पिछले 10 सालों का इतिहास देखा जाये तो ऐसा नहीं है की हैल्थकेयर इंडेक्स ने निफ्टी 50 के मुक़ाबले हमेशा बेहतर प्रदर्शन किया है किन्तु 10 मे से 6 बार हैल्थकेयर इंडेक्स निफ्टी 50 इंडेक्स को मात देने मे कामयाब रहा है। और यदि ग्रोथ की बात करें तो पिछले 10 सालों मे निफ्टी हेल्थकेर इंडेक्स की ग्रोथ निफ्टी 50 के मुक़ाबले बेहतर रही है। वित्तीय वर्ष 2020-21 के आर्थिक सर्वे के आधार पर अगले एक दशक मे घरेलू बाज़ार 3 गुना बढ्ने की संभावना है। और ऐसे मे इस सैक्टर से और भी तेजी की उम्मेद की जा सकती है।
कैसे करें निवेश
हेल्थकेर फ़ंड मे निवेश करने का एक विकल्प है ईटीएफ यानि की एक्स्चेंज ट्रेडेड फ़ंड। एक्स्चेंज ट्रेडेड फ़ंड जैसा की नाम से ही पता चलता है स्टॉक एक्स्चेंज जैसे की एनएसई व बीएसई मे लिस्ट होते हैं। इसमे निवेश करने के लिए निवेशक के पास डीमैट अकाउंट होना आवश्यक है। एक हैल्थकेयर ईटीएफ निफ्टी हैल्थ केयर इंडेक्स को ट्रैक करता है इसलिए इसमे निवेश करके निवेशक इंडेक्स मे होने वाली बढ़ोतरी का पूरा लाभ ले सकता है। यदि आप किसी एनएफओ के दौरान इसमे निवेश करना चाहते हैं तो आप उस कंपनी की वैबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फ़ंड ने भी हाल ही मे अपना हैल्थकेयर फ़ंड का एनएफओ लॉंच किया है। यह एनएफओ 14 मई तक खुला रहेगा। एनएफओ के दौरान इसमें कम से कम एक हजार रुपए से निवेश की शुरुवात की जा सकती है।
क्या हैं जोखिम
उतार- चड़ाव शेयर बाजार बाज़ार का मूलभूत स्वभाव है। व्यापार मे लाभ और हानि के साथ- साथ, आर्थिक, भौगोलिक व राजनीतिक परिसतिथियों का प्रभाव भी शेयर बाज़ार पर पड़ता है। एक सेकटोरल फ़ंड मे यह जोखिम एक डाइवर्सिफ़ाईड फ़ंड के मुक़ाबले और भी अधिक होता है क्योंकि यहाँ पर निवेश एक ही तरह के शेयरों मे होता है। ऐसे निवेशक जिनकी जोखिम सहने की क्षमता औसत से अधिक है वे निवेशक पूंजी लाभ की द्रष्टि से अपने निवेश का एक छोटा हिस्सा इस तरह के फ़ंड मे निवेश करने पर विचार कर सकते हैं।