शेयर बाजार में निवेश का एक आसान तरीका
यदि आपको नदी पार करनी हो और आपको तैरना ना आता हो तो क्या हुआ आप नाव मे बैठ कर चले जाइए। बस नाव की ही तरह म्यूच्यूअल फण्ड भी उन निवेशको को उनकी मंजिल तक पहुंचाने मे मदद करता है जिनहे पूंजी बाज़ार की सीमित जानकारी है। म्यूचुअल फ़ंड को प्रोफेशनलस मैनेज करते हैं और वो रिसर्च करके सही शेयर्स का पोर्टफोलियो बनाते हैं. म्यूचुअल फ़ंड के परफॉरमेंस मूल्यांकन करने के लिए उस की तुलना किसी इंडेक्स से की जाती है और उस इंडेक्स की परफॉरमेंस को बेंचमार्क माना जाता है। ऐसे म्यूचुअल फ़ंड जिनका पोर्टफोलियो फ़ंड मैनेजर तय करते हैं उन्हे एक्टिव फ़ंड कहते है। फण्ड मैनेजर की हमेशा कोशिश रहती है की वो निवेशकों को अधिक से अधिक रिटर्न दिला सकें लेकिन कई बार ऐसा संभव नहीं हो पाता क्योंकि शेयरों के चुनाव में एक भावनात्मक दृष्टिकोण भी होता है. अब यदि आप चाहते हैं की आपकी स्कीम वैसा ही प्रदर्शन करे जैसा की वो इंडेक्स जिसे वो स्कीम ट्रैक कर रही है तो इसका तरीका है एक इंडेक्स फण्ड में निवेश. इंडेक्स फण्ड एक तरह का म्यूच्यूअल फण्ड ही है लेकिन इसके पोर्टफोलियो में शेयर फण्ड मैनेजर तय नहीं करते बल्कि उस इंडेक्स के पोर्टफोलियो को कॉपी करते है जिस पर ये फण्ड आधारित होता है. यानि की एक इंडेक्स फण्ड पूरी तरह से पैसिव या निष्क्रिय फण्ड होता है.
क्या है निफ़्टी 50 इक्वल वेट इंडेक्स
निफ़्टी 50 इक्वल वेट इंडेक्स एनएसइ का एक इंडेक्स है जो की 50 दिग्गज कंपनियों के संयोजन से बना है. ये कम्पनिया सभी मुख्य सेक्टर्स से ली गयी है. निफ़्टी 50 इक्वल वेट इंडेक्स में वही 50 कंपनियों के शेयर हैं जो कि एनएसई के फ़्लैगशिप इंडेक्स निफ़्टी 50 में हैं लेकिन इक्वल वेट इंडेक्स कि खास बात यह है कि इसमे में सभी कम्पनियों की हिस्सेदारी एक समान है। इंडेक्स मे किसी कम्पनी की हिस्सेदारी बहुत कम होने से नुकसान यह होता है कि यदि उस कम्पनी का प्रदर्शन अच्छा भी हो तो उसकी हिस्सेदारी कम होने कि वजह से इंडेक्स को उसका पूरा लाभ नहीं मिल पाता। कोई भी टीम तभी जीतती है जब सभी खिलाड़ियों के कंधो पर ज़िम्मेदारी हो। यदि पिछले प्रदर्शन पर एक नजर डालें तो देखा जा सकता है कि निफ़्टी 50 के मुकाबले निफ़्टी 50 इक्वल वेट इंडेक्स का प्रदर्शन बेहतर रहा है. 2001-2002 के डॉट कॉम क्रैश के बाद 2002- 2003 की रिकवरी हो, 2008 के ग्लोबल फाइनेंसियल क्राइसेस के बाद 2009 की रिकवरी हो , या 2020- 2021 में कोरोना पेंडेमिक की वजह से शेयर बाज़ार में तेज गिरावट के बाद की रिकवरी हो , हर एक स्तिथि में निफ़्टी इक्वल वेट इंडेक्स का प्रदर्शन निफ़्टी 50 के मुकाबले बेहतर रहा है. यानि की जब जब शेयर बाजार में तेज गिरावट आयी है या फिर उस गिरावट के बाद रिकवरी निफ़्टी 50 इक्वल वेट इंडेक्स निफ़्टी 50 इंडेक्स के मुकाबले बेहतर साबित हुआ है.
इंडेक्स फण्ड में निवेश के फायदे
इंडेक्स शोध के आधार पर एक बेहद वैज्ञानिक तरीके से तैयार किये जाते हैं. विशेषतौर पर यदि निफ़्टी 50 इक्वल वेट इंडेक्स के बात करें तो यह एक डाइवर्सिफाइड इंडेक्स है यानि कि इस इंडेक्स के शेयरों मे विविधता है। इसलिए जोखिम कम हो जाता है. हर 6 महीने में एक बार इसके पोर्टफोलियो का पुनर्गठन होता है और हर तीन महीने रि-बैलेंसिंग होती है. क्योंकि इस इंडेक्स में हर एक कम्पनी की हिस्सेदारी 2 प्रतिशत रखनी होती है इसलिए यदि किसी कम्पनी की विशेष परफॉरमेंस के कारण यदि इसकी हिस्सेदारी 2 प्रतिशत से कम या अधिक हो जाती है तो उसे कम कर दिया जाता है. इस प्रकार से प्रॉफिट बुकिंग भी हो जाती है. लो टर्न ओवर व लो एक्सपेंस रेश्यो किसी भी इंडेक्स फ़ंड की विशेषता होती है. निफ़्टी 50 इक्वल वेट इंडेक्स के जरिये आप सीमित रकम मे एक साथ 50 कंपनियों में निवेश कर सकते हैं जबकि यदि आप निफ्टी 50 मे जो शेयर हैं उनमे से हर एक शेयर स्वयं खरीदना चाहें तो आपको करीब 1.50 लाख रुपए निवेश करने होंगे। हाल ही में आदित्य बिरला सन लाइफ म्यूच्यूअल फण्ड ने ऐसे ही निफ़्टी 50 इक्वल वेट इंडेक्स पर आधारित एक फण्ड लॉंच किया है जिसमे कम से कम 500 रूपये से निवेश की शुरुवात की जा सकती है. आप इस फ़ंड मे एकमुश्त राशि या एसआईपी के जरिए निवेश कर सकते हैं लेकिन मेरे हिसाब से ऐसे वक्त पर जब शेयर बाज़ार अपने अब तक के उच्चतम स्तर पर है ऐसे मे एसआईपी या एसटीपी के जरिये निवेश फायदेमंद साबित हो सकता है। साथ ही किसी भी इक्विटि फ़ंड की तरह इस फ़ंड मे भी पाँच साल या उससे अधिक अवधि के नजरिए से निवेश किया जाना चाहिए।
This article was first published by Pankaj Mathpal on www.abplive.com on 23rd May 2021.